
सिलक्यारा सुरंग की ओर पूरा देश 17 दिन से टकचटकी लगाकर देख रहा था। मंगलवार को वो शुभ घड़ी आई जब बौखनाग देवता के आशीर्वाद से हमारी रेस्क्यू एजेंसियों की मेहनत रंग लाई और 41 श्रमिकों को 17 दिन बाद सकुशल बाहर निकाला गया। प्राथमिक जांच के बाद सभी श्रमिकों को चिन्यालीसौड़ ले जाया गया, जहां से जिला मुख्यालय उत्तरकाशी में उनका भव्य स्वागत हुआ।
इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुरंग से सुरक्षित निकाले गए सभी 41 मजदूरों का हाल-चाल जाना। फोनकॉल के जरिए पीएम ने मजदूरों से काफी देर तक बातचीत की औऱ सुरंग के भीतर बिताए 17 दिनों के अनुभवों को जाना। बातचीत के दौरान पीएम मोदी और मजदूरों को सबसे पहले बधाई दी कि 17 दिनों के बाद सभी 41 मजदूर सुरक्षित सुंरग से बाहर निकल सके। पीएम मोदी ने सुरंग में फंसे मजदूरों का नेतृत्व करने वाले शबा अहमद और गब्बर सिंह से फोन पर बातचीत की।
योगा किया, लूडो खेला, हौसला बढ़ाया
पीएम मोदी ने बातचीत की शुरुआत में कहा कि हम सबपर केदरनाथ बाबा और बद्रीनाथ भगवान की कृपा रही कि सभी मजदूर सही सलामत सुरंग से बाहर निकल सके। आप लोगों ने (मजदूर) ने सुरंग में मौजूद एक-दूसरे लोगों का हौसला बनाए रखा। यह एक बड़ी बात है।
शबा अहमद ने सुरंग में बिताए 17 दिनों के अनुभव साझा करते हुए पीएम मोदी से कहा,” सर हम लोग तकरीबन 18 दिनों तक सुरंग में फंसे रहे, लेकिन एक दिन भी ऐसा एहसास नहीं हुआ कि हम लोगों को कुछ कमजोरी या घबराहट हो रही। वहां 41 लोग थे, सब भाई की तरह रहते थे। किसी को भी कुछ हो तो हम एक साथ रहते थे। किसी को कोई दिक्कत नहीं आई। खाना आता था तो हम सब एक साथ मिलजुल कर खाते थे। हम लोग सुरंग में भाई की तरह रहते थे। सुरंग में सब एक दूसरे की मदद करते थे।” शबा ने आगे कहा कि खाना आता था तो मिल-बांट कर हम सभी खाते थे। रात में खाना खाने के बाद जितने भी आदमी थे, सभी पैदल टहलते थे। सुरंग में 2.5 किलोमीटर था। वहीं, सुबह हम सभी मजदूर योगाभ्यास करते थे।
झारखंड के मजदूर चमरा ओरांव ने बाहर आने के बाद न्यूज एजेंसी को बताया कि इन 17 दिनों में उन्होंने फोन पर लूडो खेलकर समय बिताया। क्योंकि, नेटवर्क नहीं होता था तो किसी से फोन पर बात भी नहीं हो सकती थी। लेकिन बाद में रेस्क्यू एजेंसियों ने पाइप के जरिए घरवालों से बात करवाई थी।
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